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Kalsarp Dosh Puja

पितृ शांति

पितृ शांति (Pitrushanti) एक महत्वपूर्ण हिन्दू धार्मिक अनुष्ठान है, जिसे विशेष रूप से पितरों की आत्मा की शांति, उनके आशीर्वाद प्राप्त करने और उनके द्वारा किए गए कृत्यों के परिणामस्वरूप जीवन में उत्पन्न होने वाले कष्टों को दूर करने के लिए किया जाता है। पितृ शांति पूजा को पितृ दोष निवारण और परिवार में सुख-शांति की कामना करने के लिए किया जाता है। यह पूजा उन व्यक्तियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती है जिनके जीवन में पितृ दोष (Pitra Dosh) का असर है या जो पितृऋण (Pitra Rin) से मुक्ति पाना चाहते हैं।

पितृ शांति का महत्व:

हिन्दू धर्म में पितृ (Pitr) का बहुत बड़ा स्थान है। पितृ, एक व्यक्ति के पूर्वज होते हैं, जिनका आशीर्वाद हमारे जीवन में समृद्धि, सुख और सफलता लाने के लिए आवश्यक माना जाता है। पितृ शांति पूजा का उद्देश्य पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करना है ताकि वे अपने कृत्यों से संबंधित सभी नकारात्मक परिणामों को नष्ट कर सकें और उनके आशीर्वाद से जीवन में समृद्धि आए।

पितृ दोष तब उत्पन्न होता है जब व्यक्ति के पूर्वजों की आत्माएँ शांति में नहीं होती हैं, या उनका कोई अधूरा कार्य, जैसे कि श्राद्ध या तर्पण न करना, रह जाता है। यह दोष जीवन में आर्थिक तंगी, परिवार में अशांति, स्वास्थ्य समस्याएँ, रिश्तों में विघ्न आदि के रूप में प्रकट हो सकता है।

पितृ शांति पूजा के लाभ:

  1. पितृ दोष का निवारण: पितृ शांति पूजा से व्यक्ति को पितृ दोष से मुक्ति मिल सकती है, जिससे जीवन में उत्पन्न होने वाली बाधाएँ, जैसे आर्थिक संकट, स्वास्थ्य समस्याएँ, और मानसिक तनाव, दूर हो सकते हैं।

  2. आध्यात्मिक उन्नति: यह पूजा व्यक्ति के आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होती है। पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करके व्यक्ति के जीवन में शांति और संतुलन आता है।

  3. परिवार में सुख-शांति: पितृ शांति पूजा से परिवार में प्रेम, सौहार्द्र और समझ बढ़ती है। पितरों का आशीर्वाद मिलने से घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।

  4. आर्थिक समस्याओं का समाधान: यह पूजा आर्थिक तंगी और कर्ज़ से मुक्ति पाने के लिए भी की जाती है। पितरों के आशीर्वाद से व्यापार और रोजगार में प्रगति हो सकती है।

  5. संतान सुख: पितृ शांति पूजा संतान सुख प्राप्त करने के लिए भी की जाती है। इसे संतान संबंधी समस्याओं के निवारण के रूप में भी माना जाता है।

पितृ शांति पूजा कब और कैसे करनी चाहिए?

1. पूजा का समय:

  • पितृ पक्ष (पितृपक्ष) में यह पूजा विशेष रूप से महत्व रखती है, जो प्रत्येक वर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष में होती है। इस समय पितरों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का विशेष महत्व है।
  • इसके अलावा, आर्थिक संकट, स्वास्थ्य समस्याएँ, या पितृ दोष के प्रभाव को कम करने के लिए पूर्णिमा के दिन या अमावस्या के दिन भी पितृ शांति पूजा की जाती है।

2. पूजा की प्रक्रिया:

पितृ शांति पूजा की प्रक्रिया कुछ इस प्रकार होती है:

  1. पूजा का स्थान और वातावरण: पूजा स्थल को शुद्ध और पवित्र रखें। वहां दीपक जलाएं और ताजे फूल, अगरबत्ती, और पवित्र जल का उपयोग करें।

  2. पितरों का आह्वान: पूजा के दौरान सबसे पहले पितरों का आह्वान किया जाता है। पितरों के नाम का स्मरण करते हुए उनसे आशीर्वाद की प्रार्थना करें। यह प्रक्रिया इस प्रकार होती है:

    • “ॐ पितृ देवता आयुष्यं, श्रेयं, धनं, सुखं, आरोग्यं एवं संतति देने वाले हो। कृपया मेरे पितरों की आत्माओं को शांति प्रदान करें।”
  3. तर्पण (Tarpan): तर्पण का महत्व पितृ शांति में बहुत है। इसमें तर्पण जल में तिल, कुंकुम, शक्कर, और ताजे फूल डालकर पितरों को अर्पित किया जाता है। तर्पण जल को सूर्योदय से पूर्व ताजे पानी में डालकर पितरों को समर्पित करना शुभ होता है।

  4. श्राद्ध (Shraddh): पितृ शांति पूजा में श्राद्ध कर्म भी किया जाता है। श्राद्ध में पितरों को भोजन, तर्पण और जल अर्पित किया जाता है। इसका उद्देश्य पितरों की आत्मा को संतुष्ट करना और उनके द्वारा किए गए अच्छे कर्मों का सम्मान करना है।

  5. हवन (Havan): पितृ शांति के लिए हवन भी किया जाता है। हवन में विशेष सामग्री, जैसे तिल, घी, साबुत चावल, और पवित्र लकड़ी को आहुति के रूप में दिया जाता है। यह पितरों की आत्मा की शांति और समृद्धि के लिए किया जाता है।

  6. दान (Daan): पूजा के बाद, पितृ शांति के लिए दान किया जाता है। दान में तिल, चावल, कपड़े, और शक्कर जैसे सामान पितरों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने के लिए दान करना शुभ होता है। खासकर ब्राह्मणों को भोजन और वस्त्र दान करने का महत्व है।

  7. मंत्र जाप (Mantra Chanting): पूजा के दौरान पितृ शांति के मंत्रों का जाप किया जाता है। सबसे प्रभावी मंत्र “ॐ पितृ देवाय नमः” और “ॐ त्रयम्बकं यजामहे” हैं। यह मंत्र पितरों की आत्माओं को शांति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए उच्चारित किया जाता है।

  8. पितृ के चित्र का पूजन: कुछ लोग अपने पितरों के चित्र या अस्थि कलश की पूजा भी करते हैं। उनके चित्र के सामने दीपक जलाना और उन्हें अर्पित करना शुभ होता है।

निष्कर्ष:

पितृ शांति पूजा का हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्व है। इसे करके न केवल व्यक्ति को पितृ दोष से मुक्ति मिलती है, बल्कि परिवार में सुख-शांति और समृद्धि भी आती है। इसे श्रद्धा और सही विधि से करना चाहिए, ताकि पितरों की आत्मा को शांति मिल सके और जीवन में सुख-शांति का वास हो।

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सर्व देव

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